गिरती बूंदे धरती पर छम छम बरसात तपन अगन से छुटकारा प्रकृति का वरदान।। गिरती बूंदे धरती पर छम छम बरसात तपन अगन से छुटकारा प्रकृति का वरदान।।
जला ख्वाबों को सहलाता हुआ कोई सुलगता एहसास हूँ।। जला ख्वाबों को सहलाता हुआ कोई सुलगता एहसास हूँ।।
सिद्धार्थ से बुद्ध की आत्मा के परमात्मा का यथार्थ सत्यार्थ।। सिद्धार्थ से बुद्ध की आत्मा के परमात्मा का यथार्थ सत्यार्थ।।
सृष्टि को सृजित कर जाती, कुछ शब्दों में, कैसे तोलू, नपे- तुले शब्दों में, कैसे बोल सृष्टि को सृजित कर जाती, कुछ शब्दों में, कैसे तोलू, नपे- तुले शब्दों मे...
अपने मन के डर को सूली पर टांगे लोग भाग रहे हैं बेतहाशा। अपने मन के डर को सूली पर टांगे लोग भाग रहे हैं बेतहाशा।